डिजिटल युग में भी अंगूठा छाप - Use of thumb in digital world



आज कल सभी अंगूठा छाप हो गए हैं जी हाँ अंगूठा छाप, शिक्षा की महत्ता बढ़ने और निरक्षरता कम होने के बाद जब आज जमाना डिजिटल युग में प्रवेश कर रहे हैं उस समय भी यदि लोग अंगूठा छाप होना पसंद करेंगे ऐसा नहीं होना चाहिए. इस साक्षरता की भीड़ ने खड़े सभी अंगूठा छाप हैं. जो साक्षर हैं वो भी और जो निरक्षर हैं वो भी. अब आप पूछेंगे कैसे ? आज कल सरकारी हो या निजी हर तरह के कार्यालय में उपस्थिति दर्ज करने के लिए बिओमेट्रिक मशीन लगी हुयी हैं जहाँ कार्यकर्त्ता अपने अंगुली का प्रयोग करके उपस्थिति दर्ज करते हैं, यानि मशीन में को अंगुली से छूने पर ही उपस्थिति दर्ज होती हैं. लेकिन इससे भी ज्यादा अगुठे के प्रयोग स्क्रीन टच मोबाइल पर होता हैं. स्क्रीन टच मोबाइल के साथ व्हाट्सप ने तो लगभग तीन चौथाई दुनिया को अंगूठा छाप बना चुकी हैं.


हालाँकि पुराने जमाने में अंगूठा छाप होना अपमान का बात था लेकिन समय बदलते ही इसका अर्थ भी बदला और मायने भी. पहले के अंगूठा छाप लोगो को शायद ही पता होता था कि अंगूठा का छाप कहा लगा रहे है. लेकिन आज कि पीढ़ी को बखूबी पता होता हैं कि अंगूठा का इस्तेमाल कहा कर रहे हैं. कुछ दिन पहले तो फेसबुक पर भी वायरल हो रहा था कि "भगवान ने अंगूठा व्हाट्सप चलने के लिए बनाया हैं". सही मायने में दुनिया में सबसे ज्यादा यूज होने वाला मैसेंजर व्हाट्सप की वजह से ज्यादा लोग अंगूठा छाप हुए हैं.


कहने का मतलब यह है कि आज का पढ़ालिखा समाज भी अंगूठा छाप बनने में फक्र महसूस कर रहा हैं. क्योकि यदि आपके पास स्क्रीन टच मोबाइल में व्हाट्सप नहीं हैं तो लोग आपको अपने लेवल का नहीं मानते हैं. लोग कहेंगे कि आप ऑउटडेटेड हैं. ऐसे में समाज में बने रहने के लिए यह सब जरुरी हैं. इसके साथ ही जरुरी हैं अंगूठा छाप होना.

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