इंटरनेट पर मौत का खेल - suicide game on Internat


सुसाइड गेम को खेलने से मुंबई में एक 14 वर्षीय छात्र ने खुदकुशी कर ली. जिसके बाद घर-परिवार के सदस्य और पुलिस दोनों सकते में आ गई. पुलिस सकते में थी कि खुदकुशी का कोई ठोस कारण नहीं पता चला उन्हें. बाद में पता चला कि लड़का ब्लू व्हील गेम खेल रहा था और इस गेम के अंतिम टास्क पूरा करने के लिए खुदकुशी कर लिया. भारत में यह पहले केस जरूर हैं लेकिन रूस में 2013 से लेकर 2016 तक 130 युवाओ ने इस गेम को खेलते हुए अपने आप को ख़त्म कर लिया हैं.

Philipp Budeikin , image source The sun

आपको बता दे की इंटरनैट पर खेले जाने वाला यह गेम 2013 में रूस में लंच हुआ. इस मौत के खेल को बनाने वाला 21 साल का फिलिप्प बुडिकिं हैं जो रूस में पकड़ा गया. इस खेल के अध्यक्ष के अनुसार 50 दिन चलने वाले इस खेल में पीछे लौटने या बिच में छोड़ने का कोई मौका नहीं हैं. जो भी यह खेल खेलने के लिए राजी होता हैं उसकी मौत सुनिश्चित हैं. इस खेल के नियम भी अजीबो गरीब हैं. यदि आप इस खेले को खेल रहे हो या खेलना चाहते हो, यह खेलने वाले के अलावा किसी और को भनक तक नहीं लगती चाहे कोई दोस्त -मित्र हो या परिवार का सदस्य. सबसे दिलचस्प बात यह हैं कि खेलने वाले इस खेल के नियम का ईमानदारी से अनुसरण करते हैं. इस खेल की गोपनीयता बरक़रार रखने के साथ ही शुरू होता हैं एक बेहद डरावना खुनी खेल जिसमे 50 दिन में 49 टास्क पूरा करना हैं. इसमें ऐसे ऐसे टास्क होता है जिसमे अच्छे-अच्छो की हवा निकल देगी लेकिन इसके दीवानो को बस इसे पूरा करने की सनक चढ़ी होती हैं, जिसके लिए ये अपने आप को भी दुःख पहुंचने से बाज नहीं आते. इस खेल को खेलने वाले इस खेल में इतने अधिक संलिप्त हो जाते हैं कि इसके आगे उन्हें कुछ दीखता ही नहीं. औरो से आगे निकले की होड़ में इस दुनिया से जाने के लिए भी तैयार हैं. यदि इस खेल के टास्क की बात करे तो इसमें खिलाडी को अपने हाथ या पाव पर किसी धारदार चाकू से खुरच कर व्हेल बनाकर इसका फोटो खींच कर खेल के निरीक्षक को भेजना होता हैं. इसके पुरे -पुरे दिन हॉरर फिल्म देखने होते हैं, सुबह के तीन से चार बजे के बिच उठ कर वाक करना होता हैं. और भी डरावने टास्क हैं जिस इस खेल को खेलने वाले पूरा करने के लिए कुछ भी करते हैं. यह गेम इंस्टाग्राम और स्नैपचैट पर 'अ साइलेंट हाउस (A Silent House), अ सी ऑफ़ व्हेल्स (A Sea of Whales), F57 और  F-57 के नाम हैं.


इस तरह के डेड गेम से बचने के लिए माता पिता को चाहिए की अपने बच्चो के साथ दोस्ताना व्यव्हार रखे ताकि बच्चे अपना हर बात बता सके. माता पिता को अपने बच्चो की हर एक गति विधि पर नजर रखना चाहिए. लेकिन यदि आप अपने बच्चो के साथ समय बिताते हैं, उनके साथ मित्र वाला रवैया रखते हैं तो आपको उनके बारे में बहुत सारी बाते पता होती हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं तो आपको उनपर नजर रखनी ही पड़ती हैं. विदेशो में बच्चो को छोटी उम्र से ही आत्मनिर्भर बनने की ट्रेनिंग दी जाती हैं जिससे बच्चे माता पिता से शायद ही घुल मिल पाते हैं. लेकिन हमारे यहाँ ऐसा सभ्यता नहीं हैं. हमारे देश में माता -पिता और बच्चो के बिच भावनात्मक लगाव होता हैं. कामकाजी माता -पिता भी अपने बच्चो के लिए थोड़ा बहुत समय निकल ही लेते हैं. ऐसे में अपने बच्चो के प्रति कोई भी माता -पिता लापरवाह नहीं हो सकते. अब एक बार फिर इस मुंबई में घटी घटना की बात करे तो यदि लड़का स्कूल में पढता था तो माता -पिता उसके डेली रूटीन के बारे में पूरी तरह से अवगत होंगे. क्या इस 50 दिन चले वाली गेम के दौरान उनके अपने बेटे के गतिविधि में खुद कोई बदलाव नजर नहीं आया. बच्चे फिल्मे देखते हैं यह आम बात हैं, सुबह उठने पर भी कोई ऐतराज नहीं हुआ होगा. लेकिन चाकू से हाथ पॉ पर बने निशान नजर नहीं आये होंगे. शर्दियो में इसे पुरे बदन को ढकने वाले कपडे पहने कर तो छुपा सकते हैं, लेकिन गर्मियों में यह आसान नहीं हैं. बल्कि ऐसे छोटी छोटी बाते तो परिवार के सदस्य भी ऑब्सेर्वे कर लेते हैं.



देखा जाय तो आज भी हमारे देश में लोग बच्चो का ख्याल बहुत ही अच्छे से रखे हैं या रखना चाहते हैं. लेकिन बढ़ते एकल परिवार और भौतिक सुख सुबिधाओ ने बच्चो ही नहीं बल्कि बड़ो को भी संकुचि बनाने का काम किया हैं जो इस तरह के मौत के खेल को खेल कर अपना समय ब्यतीत करते हैं. वही इस तकनिकी की दुनिया में बच्चे पैदा होते ही मोबाइल और टीवी के तरफ आकर्षित होने लग रहे हैं. ऐसे यह ध्यान देने की जरूरत है कि ये सरे टाइम पास करने के संसाधन जानलेवा न बन जाए.

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