चाहरदीवारी के अंदर मौजूद घिनौनी सोच से है महिलाओ को खतरा - Women Security

हमारे देश में महिला सुरक्षा बहुत बड़ा मुद्दा है. इस मुद्दे को सुलझाने के लिए किसी के पास कोई सटीक समाधान नहीं है. फिल्म पद्मावती में रानी 'पद्मावती' को खिलजी से बचने के लिए देश के हर कोने से आवाज आई थी. निर्भया कांड के लिए भी अच्छा खासा प्रदर्शन हुआ. कश्मीर में 8  साल की लड़की के साथ हुए बारदात के खिलाफ बॉलीवुड ने आवाज उठाई तो नेताओ ने कैंडल मार्च निकला. उच्चतम न्यायलय ने भी 12 साल से काम उम्र के लड़कियों के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपियों को फांसी की सजा पर मुहर लगा दिया. लेकिन क्या इतना सबकुछ होने के बावजूद इसमें नाम मात्र भी कमी आयी, नहीं.


ऐसी घटनाये लगातार बढ़ती ही जा रही है. बढ़ेंगी भी क्यों नहीं जब पिता ही अपनी बेटी के साथ बलात्कार करता है, तो कोई दूसरा उसकी रक्षा कैसे कर सकता है. जब एक बेटी अपने घर में ही सुरक्षित नहीं है. देश में कैसे सुरक्षित रहेगी. यदि शहर बाजार में कोई घटना होती है तो लोग अपने को सूचित करके उनके घर में रहने की सलाह देते है. अक्सर रेप घटनाओ के कई तरह के बयान आते है, जैसे लड़कियों को देर रात तक घर से बहार नहीं निकलना चाहिए. छोटे छोटे कपडे नहीं पहनने चाहिए. लेकिन दरिंदे घर में ही मौजूद हो तो लड़की कहा जाएगी? 


एक खबर के अनुसार करीब करीब 84 प्रतिशत नाबालिगों से उनके घर के अंदर ही रेप होता है या फिर वह करीबी रिस्तेदार के हवश का शिकार बनती है. जैसे की दिल्ली में एक 8 महीने की लड़की के साथ उसके चचेरे भाई ने रेप किया था. ऐसे घटनाओ में लगभग 40 फीसदी आरोपी परिवार के सदस्य या रिस्तेदार का कोई ही होता है. ऐसे में महिला सुरक्षा के लिए नए कानून बनाने और समाज या देश से महिलाओ की सुरक्षा का गुहार लगाने से पहले रिश्तो की अहमियत को समझते हुए अपने और अपने परिवार के सोच को बदलने की जरूरत है. जब तक घर के चाहरदीवारी के अंदर घिनौनी सोच मौजूद होगी तब तक ब्रम्हा भी महिलाओ को सुरक्षा नहीं कर सकते है. क्योकि जब तक सोच सही नहीं होगी तब तक लोग खुद की बहन-बेटियों का शोषण करते रहेंगे और जब लोग खुद की बहन-बेटियों के साथ ऐसा व्यवहार करते है तो फिर वह दूसरे की बहन-बेटियों के साथ खाक अच्छा सलूक करेंगे. 









Comments