पूरा देश सन्न रह गया जब खबर आई की जनरल बिपिन रावत अब हमारे बिच नहीं रहे। mi-17 हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ जिसमें भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत अपने पत्नी सहित 14 साथियो के साथ सवार थे। 16 मार्च 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में जन्मे जनरल रावत एक सच्चे राजपूत थे।
जम्मू कश्मीर हो या नॉर्थ ईस्ट, एलडीसी हो या एल ओ सी हर जगह इस डायनामक मिलिट्री ऑफिसर ने अपने कर्तव्य बखूबी निभाया। ब्रिगेड कमांडर, जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, सीनियर इंस्ट्रक्टर एंड जूनियर कमांड विंग, कमांडर यूनाइटेड नेशन इज किंग फोर्स मल्टीनेशनल ब्रिगेड, आर्मी चीफ से देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ तक का सफर बहुत ही चुनौतीपूर्ण रहा लेकिन जनरल रावत के अपने फैसले पर अडिग रहने की वजह से उन्होंने हर एक पद के साथ न्याय किया।
देश की सेना को आधुनिक हथियारों से लेकर नई तकनीकी से लैस करवाया। लद्दाख में चीन पर दबाव बनाया और उरी हमले के जवाब में पाकिस्तान को हिलाया।
ट्रेकिंग के शौकीन ट्रैकिंग के दौरान माचिस की डिब्बी को अपना सबसे जरूरी सामान बता कर एनडीए एग्जाम पास करने वाले जनरल बिपिन रावत का जाना अपूरणीय क्षति है, पूरा देश आहत है। जनरल बिपिन रावत के योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।
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