क्रिकेट के एक युग का अंत : महेंद्र सिंह धोनी - End of an era in Cricket : Mahendra Singh dhoni

महेंद्र सिंह धोनी का कप्तानी छोड़ना एक युग का अंत होने का आभास करा रहा हैं. धोनी के  उनकी लीडरशिप में टीम इंडिया ने नई ऊंचाइयों को छुआ और उनके अचीवमेंट दशकों तक इंडियन क्रिकेट में याद किए जाएंगे. अपने  आठ साल की कप्तानी में कुल 178 मैच को अपनी झोली में डाला हैं जिसमे 2 वर्ल्ड कप शामिल हैं. क्रिकेट के इतिहास में धोनी की कप्तानी का समय किसी सुनहरे युग से कम नही रहा. आपको बता दे कि 178 मैच में 110 एकदिवसीय , 41 T20  और 27 टेस्ट मैच शामिल हैं.  दुनिया में तीसरे कामयाब विकेटकीपर धोनी ने 446 मैच में 564 कैच और 152 स्टम्प करके 716 बैट्समैन को आउट करने सफल रहे हैं. इतना ही नही धोनी की बैटिंग परफॉर्मेंस भी जबरदस्त हैं जो आगे भी देखने को मिलेगा. यदि धोनी के तीनो फॉर्मेट के कप्तानी छोड़ने के पीछे यह भी हो सकता हैं धोनी अपने परफॉर्मेंस को और भी निखारना चाहते हो. जो पिछले कुछ दिनों से ख़राब चल रही हैं. साथ ही 2019 वर्ल्ड कप के लिए टीम के नए कप्तान को टीम के साथ समय मिल जायेगा और धोनी को अपना खेल वापस लाने का समय मिलेगा. एक और बात यह भी हैं एक ही टीम में टेस्ट और वनडे के अलग अलग कॅप्टन होने से थोड़ी सी परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. इस लिए तीनो फॉर्मेट में एक ही कप्तान होना चाहिए.

धोनी के कप्तानी छोड़ने के बाद इसमें कोई दो राय नही हैं कि टीम इंडिया के अगले कैप्टन विराट कोहली होंगे. विराट कोहली पिछले दो साल से इंडिया के  टेस्ट टीम के कैप्टन हैं. विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया लगातार बढ़िया परफॉरमेंस कर रही हैं. धोनी की लीडरशिप में दिसंबर 2009 में टेस्ट की नंबर वन टीम बनी थी उसके बाद एक बार फिर विराट कोहली के लीडरसीप में नंबर वन को छुआ था. धोनी के इस फैसले के लिए बीसीसीई की तरफ से सराहना मिली हैं हैं तो पूर्व खिलाड़ियों ने भी इसे एक अच्छा फैसला बताया हैं. इसके धोनी की सराहना करते हुए पूर्व कप्तान कपिल ने कहा कि "अगर धोनी ने ये डिसीजन लिया है तो हमें उनके साथ खड़े होना चाहिए. नए खिलाड़ी आ गए हैं और हमें उन्हें मौका देना चाहिए,  शायद यही सोचकर उन्होंने ये फैसला लिया है."

बीसीसीआई के सीईओ राहुल जौहरी बोले, "धोनी ने कैप्टन के रूप में क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में शानदार परफॉर्मेंस दी है. उनकी लीडरशिप में टीम इंडिया ने नई ऊंचाइयों को छुआ और उनके अचीवमेंट दशकों तक इंडियन क्रिकेट में याद किए जाएंगे." वही क्रिकेट एक्सपर्ट अयाज मेमन का कहना है कि "भारतीय धरती पर सत्ता के दो ध्रुव नहीं हो सकते . धोनी और विराट दो विपरीत ध्रुव हैं. विराट बेहद आक्रामक है तो धोनी की कप्तानी में डिफेंसिव-ऑफेंसिव दोनों हैं." ऐसे में कभी न कभी धोनी को कप्तानी छोड़नी ही थी. अब देखना यह है कि धोनी कप्तानी छोड़ने के बाद अपने खेल को और कितना निखार पाते हैं .

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