फिल्म समीक्षा द जंगल बुक - Film Review The jungle Book

एक मुक्कमल फिल्म के रूप निर्देशक ने एक ऐसे जंगल की कल्पना की है, जो खूबसूरत है और भयानक भी। खतरनाक और जीवंत भी। मोगली का पहला ही सीन, बॉन्ड फिल्म सरीखा है। पेड़ों, चट्टानों, पानी-पर्वत को चीरते हुए बघीरा संग उसकी रेस वाकई रोमांचित करती है। ऐसा ही रोमांच उसके अपहरण वाले सीन में भी दिखता है। इस तरह के रोमांच के बाद एक सीन शेरखान और रक्षा के बीच भी है, जब अकीला की मौत के बाद शेरखान उसके बच्चों को अपने आगोश में लिए बैठा है। यहां एक विधवा की लाचारी-बेबसी का अहसास होता है, जो केवल अपने बच्चों की सलामती के लिए खामोश है, लेकिन उसका स्वाभिमान फिर भी कायम है। जंगल बुक की ये खूबसूरती ऐसे कई दृश्यों से दिखती है।

जंगल बुक  का मोगली बहुत ही बहादुर है क्योंकी उसे इतने बड़े घने जंगल में भी डर नहीं लगता है । मोगली मिलनसार होने के साथ हेल्पफुल भी है ।  नहींमोगली की क्रिएटिविटी कमल की है लेकिन जब तक मोगली भेडियो का साथ रहता है उसे क्रिएटिविटी करने की इजाजत नहीं है मोगली जंगल के रूल को भी फॉलो करता है लेकिन जब बल्लू भालू से मिलता है तो उसके लिए शहद इकठ्ठा करने में अपनी क्रिएटिविटी दिखता है और बल्लू के लिए बहुत सारा शहद इकठ्ठा करने में मदद करता है । जब हाथी का बच्चा गड्ढे में जिर जाता है तो वहां भी अपने सूझ बुझ से हाथी के बच्चे को निकलता है । और जब जंगल में आग को बुझाने के लिए हाथियों की मदद से आग बुझाई  । यह सब मोगली की समझदारी की बात थी ।

जंगल बुक  फिल्म स्टार्ट होता है जब बगिरा मोगली को भेड़िया की तरह भागने का ट्रेनिंग करा रहा है । उसके बाद नदी का पास जंगल के सरे जानवर शांति काल में आते है । तभी शेर खान आता है जिसे मोगली का बारे में पता चलता है और तभी से मोगली तो अपना शिकार बनना चाहते है । मोगली एक इंसान का बच्चा है जिसे बगिरा ने रक्षा (भेड़िया) के पास पालन पोषण के लिए रहने देता है,  जंगल में रक्षा अब मोगली को अपने बच्चों की तरह पालती है। मोगली पर आई इस मुसीबत में उसे खूंखार शेरखान से बचाने के मकसद से जंगल के सभी भेड़िये और बगिरा आपस में मिलकर तय करते हैं कि मोगली को अगर बचाए रखना है तो उसे जंगल से दूर इंसानों की दुनिया में पहुंचाना चाहिए।  । मोगली को इंसानो की बस्ती तक पहुंचाने का  जिम्मा बगिरा लेता है और दोनों साथ में चल देते है हलाकि मोगली को जंगल छोड़ क्र जाने का मन नहीं होता है लेकिन बगिरा का बात नहीं ताल सकता इस लिए जा रहा है । इसी रस्ते मे उसे बल्लू भालू और का मिलते है ।

बघीरा, मोगली को वापस ले जाने आया है। उसके जाने के बाद जंगल में बहुत कुछ घट चुका है। दरअसल, मोगली पर अपने नाकाम हमले के बाद गुस्साए शेरखान ने अकीला (भेड़िया) को मार दिया है और अब वह रक्षा (मादा भेड़िया) और उसके बच्चों पर दांत गड़़ाए बैठा है। बघीरा ने ये बात मोगली को नहीं बताई है। बघीरा, मोगली को वापस जंगल ले जा पाता इससे पहले लंगूरों, बंदरों और चिम्पैजियों आदि की एक फौज मोगली का अपहरण कर किंग लुई (विशालकाय ओरेंगोटैन) के पास ले जाती है। किंग लुई, मोगली से दोस्ती का हाथ बढ़ता है और अपना एक काम उसे करने को कहता है। किंग लुई, को चाहिये रेड फ्लॉवर (आग) जो कि इंसानों की बस्ती में मिलता है।

इससे आगे की कहानी बताने पर फिल्म का रोमांच कम हो सकता है, इसलिए मोगली गाथा फिलहाल यहीं तक।
मोगली गाथा की सबसे बड़ी ताकत है, इसके किरदार। इन किरदारों का मोगली के प्रति अपनापन एक तरह का रक्षा भाव और वफादारी का अहसास कराता है। यही वजह है कि मन करता है कि ये गाथा-कथा कभी खत्म ही न हो। इसे बार-बार देखते जाओ।

Film Review The jungle Book  by Sweta,

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