दिलो में जिन्दा रहेंगे ओम पूरी - OM Puri no more

आज के बदलते जमाने में जब लोग मोगली और बघीरा को भूलने लगे थे, तो उनको फिर से जीवंत करने के लिए द जंगल बुक को एक बार फिर से बड़े परदे पर लाया गया. लेकिन बघीरा की आवाज हमेशा का लिए बंद हो गई. जी हाँ मोगली के दोस्त बघीरा को आवाज देने वाले अभिनेता ओम पूरी हमारे बिच नही रहे. ओम पूरी के आवाज की ख़ामोशी हिंदी फिल्म जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति हैं. अभियता अमरीश पूरी के बाद किसी के आवाज में दम था तो वह ओम पूरी थे. प्रतिभा के धनी ओम पूरी का खास एक्टिंग, आवाज और डायलॉग डिलिवरी का कोई मुकाबला नही था. वही पिछले साल आतंकी हमले के मामले में कमेंट देकर विवादों में घि‍रे रहे थे.

मराठी फिल्म 'घासीराम कोतवाल' से फ़िल्मी करियर शुरू करने वाले  ओम पूरी ने पुणे के फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से ग्रेजुएशन करने के बाद दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से भी पढ़ाई की. जहां उनकी मुलाकात नसीरुद्दीन शाह से हुई. 300 से अधिक फिल्मो में काम कर चुके ओम पूरी हिंदी फिल्मों के साथ ही पाकिस्तान और हॉलीवुड की फिल्मों में अपना अमिट क्षाप छोड़ा हैं. करोड़ो दिलो पर राज करने वाले अभिनेता को 1990 में भारत के नागरिक पुरस्कारों के पदानुक्रम में चौथा पुरस्कार पद्मश्री से भी नवाजे जा चूका है. इतना ही नही 2004 में ऑनरेरी ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर का अवॉर्ड दिया गया. इसके बाद ही ये ब्रिटेन में सर कि उपाधि मिली हैं. 1984 में अर्ध सत्य के किरदार के लिए नेशनल बेस्ट एक्टर अवॉर्ड भी मिला था.

पर्दे पर हर रंग को उतने में माहिर ओम पूरी से टेलीविज़न में अछूता नही रहा.  'भारत एक खोज', 'कक्काजी कहिन', 'सी हॉक्स', 'अंतराल', 'मि. योगी', 'तमस' और 'यात्रा' जैसे सीरियल में ओम पूरी ने काम किया था. अपने फिल्मो से इतिहास रचने वाले ओम पुरे हर तरह के किरदार में लोगो का मनोरंजर करते रहे. 1982 में अर्धसत्य से लोगो के दिलो में बसने वाले ओम पूरी ने 1980 में आई भावनी भवई और आक्रोश,डिस्को डांसर, 1986 में आई मिर्च मसाला, 1992 में धारावी, 1981 में सद्गति, 1996 में माचिस , 'जाने भी दो यारो', 'हेरा-फेरी', 'चाची 420', 'मालामाल वीकली', 'सिंग इज किंग', 'बिल्लू'  'मकबूल' , घायल , लक्ष्य , जैसी कुल 300 फिल्मो में अपने अभिनय के लोहा मनवा चुके ओम पूरी के के फिल्म  'माचिस' का डायलॉग 'आधों को 47 ने लील लिया और आधों को 84 ने' उनके मसहूर डायलॉग में से एक हैं.

प्रतिभाशाली अभिनेता और  एक खूबसूरत इंसान ओम पूरी का जन्म 18 अक्टूबर, 1950 को अंबाला के एक पंजाबी परिवार में हुआ था. थिएटर की दुनिया में एक बड़ा नाम रखने वाले ओमपुरी ने अपने निजी थिएटर ग्रुप "मजमा" को बनाया था. ओम पूरी का निधन सही मांयने में फिल्म जगत में एक युग का अंत हो गया हैं. जिसपर हिंदी फिल्म जगत से लेकर भारत के वर्तमान प्रधान मंत्री ने दुःख जताया हैं. आपको बता दे कि इस साल ओम पूरी की सात फिल्मे आनी थी जिसमे एक सलमान की ट्यूबलाइट भी हैं. अभिनेत्री शबाना आजमी ने खास दोस्त बताते हुए अफसोस जाहिर किया हैं. तो मधुर भंडारकर को यकीन ही नही हो रहा कि फिल्म इंडस्ट्री में कमाल का योगदान करने वाला इतना एक्टिव इंसान इस तरह अचानक चला गया.1974 में डेविड धवन के रूम मेट रह चुके ओम पूरी ब्रिलियंट एक्टर थे. ओम को श्रद्धांजलि देते हुए महेश भट्ट ने ट्वीट किया कि "अलविदा ओम! आज तुम्हारे साथ मेरी भी जिंदगी का एक हिस्सा चला गया. मैं उन लम्हों को कैसे भूल सकता हूं.  जब हमने फिल्म और जिंदगी की बातें करते हुए कई रातेंं गुजारी थीं. ". फिल्म डायरेक्टर प्रकाश झा का कहना हैं कि उनके साथ काम के अलावा आपसी तालुल्कात थे. उनकी कमी फिल्म जगता को बहुत खलेगी. वही आज के युवा अभिनेताओ के कहने हैं कि ओम पूरी नए जमाने के लिए पद चिन्ह छोड़ गए हैं जिसपर हर एक अभिनेता चलना कहते हैं . वह सभी के लिए प्रेरणा दायक हैं. वही पूर्व क्रिकेटर सचिन का कहना हैं कि " फिल्मो के जरिये हमारे दिलो में जिन्दा रहेंगे ओम पूरी "


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