कंप्यूटर विजन सिंड्रोम' - computer vision syndrome

लॉकडाउन की वजह से ज्यादातर कंपनियां वर्क फ्रोम होम के द्वारा अपने कर्मचारियों से काम ले रही हैं. हालांकि एक जगह बैठकर कंप्यूटर पर लगाातर आंखें गढ़ाए रखने से लोगों में 'कंप्यूटर विजन सिंड्रोम' की समस्याओं काफी बढ़ सकती है.

एम्स के प्रोफेसर डॉक्टर तुषार अग्रवाल के अनुसार यदि कोई व्यक्ति या बच्चा बहुत देर तक लगातार स्क्रीन को देखता रहता है तो उसकी आंखों पर बुरा असर पड़ने लगता है. जो  'कंप्यूटर विजन सिंड्रोम' का मुख्य कारण है।  'कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के शिकार लोगों की आखों में दर्द, सिरदर्द या आंख में पानी का सूख जाने जैसे लक्षण दिखते हैं.

आपकी आंखें सही रहें इसके लिए कुछ चीजों का बारीकी से ख्याल रखना जरूरी है.' जितनी छोटी स्क्रीन आप देखेंगे दर्द उतना ज्यादा बढ़ेगा. इसलिए अपने ऑनलाइन एक्टिविटीज़ को बड़ी स्क्रीन पर एक्सेस करें. इसके अलावा, स्क्रीन से आंखों की निश्चित दूरी का भी ख्याल रखें. दोनों के बीच तकरीबन डेढ़ फीट का फासला होना जरूरी है. ज्यादा पास से देखने पर दर्द भी ज्यादा होगा.

अक्सर लोग स्क्रीन की तरफ देखते वक्त पलकें झपकाना भूल जाते हैं. कई मिनटों तक पलकें झपकाए बिना स्क्रीन देखने से आखों की टियर फिल्म (आंसुओं की लेयर) सूख जाती है और उसकी क्वालिटी भी खराब होने लगती है. इससे बचने के लिए 20-20-20 का एक खास फॉर्मूला अपनाने से आपकी दिक्कतें कम हो सकती हैं.

यानी काम के बीच हर 20 मिनट बाद उसी जगह पर बैठकर भी आप एक ब्रेक ले सकते हैं. इस दौरान आपको 20 फीट की दूरी पर सिर्फ 20 सेकेंड के लिए किसी चीज को देखना होगा. इससे आंखों पर लगातार पड़ने वाले दबाव में कमी आती है. दूसरा, बच्चे या घर के किसी अन्य सदस्य का स्क्रीन टाइम घटाने से परेशानी कम हो सकती है.

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