कैसे हुई करवा चौथ की शुरुआत - How to start karva chauth




कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती ह। इन दिन पत्नी निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र और सौभाग्य की कामना करती है। जिस तरह द्वापर युग में करवा चौथ का व्रत किया जाता था, कलयुग में भी उसी आस्था और विश्वास के साथ सुहागिन महिलाएं इस व्रत को करती है। इस बार करवा चौथ पर बेहद शुभ संयोग बन रहा है जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया लेकिन क्या आपने सोचा है कि करवा चौथ की शुरुआत कैसे हुई और इसके पीछे की मान्यता क्या है?

प्राचीन समय में करवा नाम की पतिव्रता स्त्री थी उनके पति काफी उम्र दराज थ। एक दिन उनके पति नदी स्नान करने के लिए गए, नदी में नहाते समय एक मगरमच्छ ने उनके पैर को पकड़ा और पानी में खींचते हुए जाने लगा तब करवा के पति ने करवा को चिल्लाते हुए सहायता के लिए बुलाया, पतिव्रता स्त्री होने के कारण करवा में सतीत्व का काफी बल था


पति के चिल्लाने पर करवा नदी के पास पहुंची और उनकी सहायता के लिए अपनी साड़ी के एक धागे को निकालकर अपने तपोबल की माध्यम से मगरमच्छ की तरफ फेंका और उसी धागे से मगरमच्छ को बाधा। धागे से बधे हुए मगरमच्छ को लेकर करवा यमलोक चली गई , जहां यमराज ने पूछा की हे देवी आप कौन हैं? यह क्या कर रही है? इस पर करवा ने यमराज से सारी कहानी सुनाई और मगरमच्छ के लिए मृत्युदंड की मांग क। यमराज ने कहां की है देवी अभी इसकी आयु शेष है इसलिए हम इसे मृत्युदंड नहीं दे सकत। इस पर करवा ने कहा अगर आप इस मगरमच्छ को मृत्युदंड देखकर मेरे पति को चिरायु होने का वरदान नहीं देते हैं तो मैं अपने तपोबल के माध्यम से आप को नष्ट कर नष्ट कर दूंगी करवा की बात सुनकर यमराज और उसके पास खड़े चित्रगुप्त सोच में पड़ गए कि आखिर क्या किया जाए?

करवा के वचन को अनदेखा नहीं कर सकते और ना ही उसको श्राप दे सकते हैं तो उन्होंने मगरमच्छ को मृत्युदंड देखकर करवा के पति को चिरायु होने का आशीर्वाद दीया। चित्रगुप्त ने भी  करवा को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हुए कहा कि जिस तरह तुमने अपने तपोबल के माध्यम से अपने पति की प्राणों की रक्षा की है उससे मैं बहुत पसंद हो और मैं तुम को यह वरदान देता हूं कि आज की तिथि के दिन जो भी महिला पूर्ण विश्वास के साथ तुम्हारी व्रत और पूजन करेगी उसके सौभाग्य की रक्षा स्वयं करूंग।  उस दिन कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि थी जिससे इस व्रत का नाम करवा चौथ पड़ा इस तरह मां करवा पहली महिला थी जिन्होने अपने सुहाग की रक्षा के लिए करवा चौथ का व्रत किया

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