काजी , रउआ मन परता ? Memory of Past time

सास से पहिले पतोह उठ जात रहली

पड़ोस के काकी से भी उ लजात रहली

भसुर के खोंखते पाया त लुकात रहली

आज के पतोहन अस कहां झझुआत रहली 

काजी ,रउआ मन परता उ दिन ?हमरा त परता ।


घरे-घरे गोइठा ,कंडा पथात रहल

घर-आँगन , चूल्हा,चुहानी लिपात रहल

चुहानी के आग दोसरो चुहानी जात रहल

छान छवाई में टोला भर के हाथ रहल

काजी ,रउआ मन परता उ दिन ?हमरा त परता ।


चूल्हा मे गोइठा,लकड़िया जोरात रहल

माई अउर भउजी के अँखिआ लोरात रहल

अजी ,पीढ़ा ,चटाई प संगे सब खात रहल

चउका में सरग सुख सबका  बुझात रहल

काजी, रउआ मन परता उ दिन ?हमरा त परता ।


खोभत जाड़ में पुअरा बिछावल जात रहे

दुआरा-अँगना कउड़ा,बोरसी बोझात रहे

एक-से-एक, हाहा-हीही में बात गढ़ात रहे

सब कोई जइसे एके घर के बुझात रहे

काजी, रउआ मन परता उ दिन ?हमरा त परता ।


दुर्गा पूजा में पहलवानी के लंगोटा कसात  रहल

गांव के बाबा बलमीकी के तलवारो  भंजात रहल

ओ दिन अखाड़ा प नगाड़ा गजबे गड़गड़ात रहल

परदेश गइल  बेटवा ,मरद सब गांवे आ जात रहल

काजी ,रउआ मन परता उ दिन ?   हमरा त परता ।


घूम-घूम के गाँव में बांस कटात रहल

मिल-जुल के  गीत प माड़ो गडात रहल

 मूंहे -पीठे हाहा-हीही में हरदी पोतात रहल

जीजा,साली ,भौजाई ,देवर चोन्हात रहल

काजी,रउआ मन परता उ दिन ? हमरा त परता ।


बेटी कवनो घर के ना, गाँव के बुझात रहल

दुआरे कोंचा-कोंची में दुलहा फरिछात रहल 

आंगन  अउर छत प हांफत गारी गवात रहल

बेटी के बिदाई प आँख सबके लोरात रहल

काजी, रउआ मन परता उ दिन ? हमरा त परता ।


बीयुटी पार्लर बेटी-बहू केहू काहां जात रहल

बार ननद ,भउजाई ,पतोहे के हाथे कटात रहल

गोड़ अलता से सबके चकाचक रंगात रहल

तब ठोरे लिपिस्टिक केहू के ना पोतात रहल 

काजी, रउआ मन परता उ दिन ? हमरा त परता ।


कंघी से ना , ककही से बार,बबड़ी  झरात रहल

लाल,करिया मनभावन तब रीबन बन्हात रहल 

सउंसे देहे तब धप-धप हरदी पोतात रहल

कजरवटा में इया,माई के काजर परात रहल

काजी ,रउआ मन परता उ दिन ?  हमरा त परता ।


पढ़ेला दुआरे  सबके ललटेन, ढिबरी बरात रहल

 पढ़े में जीव -चोर के तनिके में मुँह बवात रहल

खेले में किरकेट काहाँ ,गुली डंडा जोहात रहल

तब  बइठा के आंट, अंटी-गोली खेलात रहल

काजी ,रउआ मन परता उ दिन ? हमरा.त परता ।


 तब के बबुई- बबुआ अजी कतनो डटात रहन

माई-बाबू ,माहटर से ऊ कतनो कुटात रहन

धीरज के बलिहारी , कबहूं ना बघुआत रहन

बिन कहले-बतवले उ कतहूँ ना जात रहन

काजी , रउआ मन परता उ दिन ? हमरा त परता ।


घरे-घरे खेती ,दोकान-दउरी के राग रहे

एही पर ओठंगल बाबा ,बाबू , के खाब रेहे

केहू-केहू के सपना डाक्टर- इंजीनियर ,नबाब रहे

घर में ढेंकी ,ओखर अउर मूसर के राज रहे

काजी , रउआ मन परता उ दिन ? हमरा त परता ।


बस एके बैल घरे-घरे सबके किनात रहे

मेल-जोल अतना ,खेत सबके जोतात रहे

लाठ,कूंड़ ,बरहा से खेत सबके पटात रहे

तब खरिहानी मैं बैलन से दवरी दंवात रहे

काजी,रउआ मन परता उ दिन ? हमरा त परता


 धइ चण्डी रूप जेकर मौगी बिखिआत रहे

भतरा कटवनी ,रांड़ी गारिओ दियात रहे

कभी-कभी  एक-दोसरा के झोंटो पेरात रहे

आपन-आपन मेहरी खातिर लउरो भजात रहे

काजी,रउआ मन परता उ दिन ? हमरा त परता ।


सबके दुआरे घुम-घुम फगुआ गवात रहे

लोर पूआ ,गुलगुला के घर-घर घोरात रहे

अदवरी ,तिसउरी  का-का ना परात रहे

घुनसारी में भुजुना घर-घर के भुजात रहे

काजी,रउआ मन परता उ दिन,हमरा त परता ।


बैलगाड़ी प दुलहिन नइहर-सासुर भेजात रहे

कहारन के कान्हे मचमच डोली  मचमचात रहे

नीमिया के डाढ़ि मइया, छठ,सोहर गवात रहे

बियाह भिड़ावे ला बाभन ,नाऊ जोहात रहे

काजी ,रउआ मन परता उ दिन ? हमरा त परता ।


का-का गिनाई ,छिपाईं हम रउआ से 

का-का  चिन्हाई बताईं अब रउआ से

 खुदे भकुआईं हम कह-कह के रउआ से

खुद के गुदगुदाइले कह-कह के रउआ से ।

काजी ,रउआ मन परता उ दिन ? हमरा त परता ।


अब ढेर कुछ ना कहब ना त उबिआइब आप

हमरा प गेहुअन अस फोफिआइब आप

Credit: Whatsapp


Keywords: Memory , Family, Relationship, Past time, Family relation, co-opration Family Bond

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