सत्यांश का पहला मेडल - Sataynsh Win first Medal

 

Satyansh Win Gold Medal 

सत्यांश को स्कूल जाते हुए अभी एक साल ही हुए है और उसने स्कूल में जलेबी दौड़ में गोल्ड मेडल हाशिल किया है । प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी सत्यांश के स्कूल में तीन दिवसीय खेल का आयोजन हुआ था , आयोजन शुरू होने से एक दिन पहले ही सायकिल चलते हुए सत्यांश को पैर में चोट लग गई और पैर पूरी तरह लहूलुहान हो गया, थोड़ी देर रोने के बाद फिर सायकिल चलने लगे तो मैंने अगले दिन यह बता कर स्कूल भेज दिया की आज से तीन दिन तक तुम्हे कोई टीचर नहीं मारेंगी और न ही कुछ पढ़ाएंगी क्योकि सारा समय तुम ग्राउंड में रहना है। 


स्कूल से लौटा तो सत्यांश बहुत खुश था लेकिन थोड़ी देर बाद कहने लगा मम्मी स्कूल वाले मैडल देखने के लिए रखते है किसी को देते नहीं  है। दूसरे दिन आया तो बोला की मम्मी मैं रेस में जित गया लेकिन मेडल नहीं मिला।  फिर मैंने समझाया कोई नहीं कल मिल जायेगा।  फिर अगले दिन ख़ुशी ख़ुशी स्कूल गया की आज तो मुझे मॉडल मिलेगा ही और उसको गोल्ड मेडल मिला।  मेडल लेकर झूमता हुआ आया बहुत खुश था मुझे दिखाया देखो मम्मी मुझे ये मिला है।  उसके बाद दादी को दिखाया देखते ही दादी खुश होते हुए शाबाशी देने लगी , कह रही थी जो काम इस उम्र में तुम्हारे पापा नहीं कर सके वह तुमने कर दिखाया , खूब तरक्की करो।  फिर दादा को दिखाया अपने पापा को भी बताया की मुझे गोल्ड मेडल मिला है ।  

                            स्कूल से आने के बाद से लेकर रात को सोने तक उसके साथ ही खेलता रहा और जब सोने लगा तो कह रहा ही मम्मी मैं इसे अपने साथ लेकर सोऊंगा ताकि मुझे नींद में अच्छे अच्छे सपने आएंगे ये बात सुनकर मैं बहुत देर तक हसती रही।  फिर मैं उसे समझाया की इसको लेकर सोने से नहीं अच्छी बाते सोचने और अच्छी बाते बोले से भी नींद में अच्छे सपने आते है । 


 

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